बॉलीवुड के इतिहास में कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जो अपने समय में भले ही न चल पाईं हों, लेकिन बाद में कल्ट क्लासिक बन जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म थी – ‘कर्ज’ (1980), जो पहली बार पर्दे पर आई तो फ्लॉप हो गई, लेकिन आज इसे भारतीय सिनेमा की सबसे आइकोनिक फिल्मों में गिना जाता है।
ओम शांति ओम’, ‘दर्द-ए-दिल’, और ‘मेरी उमर के नौजवां’ जैसे गाने सुपरहिट हुए, पर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गई।
सुभाष घई की निर्देशित इस फिल्म ने हिन्दी सिनेमा में बनने वाली पुनर्जन्म की फिल्मों को एक फार्मूला दिया जो कि कई फिल्मों के लिये हिट हो गया पर उस समय यही फार्मूला फिल्म कर्ज के लिये काम नहीं आया।
45 साल पहले जो हुआ, वो इतिहास बन गया
साल 1980 में सुभाष घई के निर्देशन में बनी ‘कर्ज’ रिलीज हुई। इस रोमांटिक थ्रिलर में ऋषि कपूर, टीना मुनीम और सिमी गरेवाल ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं।

‘कर्ज’ ने पुनर्जन्म (Reincarnation) जैसे कॉन्सेप्ट को इतने अलग अंदाज में दिखाया कि दर्शक हैरान रह गए। लेकिन अफसोस, फिल्म को शुरुआती हफ्ते में दर्शकों का प्यार नहीं मिला।
और फिर… ‘कर्ज’ बन गई पुनर्जन्म फिल्मों की पहचान
हालांकि ‘मधुमती’, ‘महबूबा’ और ‘कुदरत’ जैसी फिल्में पहले भी इस विषय पर बनी थीं, लेकिन ‘कर्ज’ ने पुनर्जन्म के साथ बदले की कहानी को इतना दिलचस्प बना दिया कि बॉलीवुड में इस थीम पर फिल्में बनने का ट्रेंड शुरू हो गया।
जब एक फिल्म ने कई भाषाओं को छू लिया
‘कर्ज’ ने जिस कॉन्सेप्ट को पेश किया, उसने दक्षिण भारतीय सिनेमा और यहां तक कि पाकिस्तान तक को प्रेरित किया।
रीमेक्स की लिस्ट देखें:
- कन्नड़: युग पुरुष (1989)
- तमिल: एनाक्कुल ओरुवन (1984)
- तेलुगु: आत्मबलम (1985)
- उड़िया: बाजी (1999)
- पाकिस्तान: मैं एक दिन लौट के आऊंगा (2007)
- हिंदी (रीमेक): कर्ज (2008) – हिमेश रेशमिया के साथ
यहां तक कि हॉलीवुड फिल्म Chances Are (1989) को भी इसी फिल्म से प्रेरित माना गया।
कर्ज के फ्लॉप होने से ऋषि कपूर को बड़ा झटका मिला

अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ में ऋषि कपूर ने लिखा –
“मुझे लगा जैसे मेरा आत्मविश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है। ‘कर्ज’ में बहुत संभावनाएं थीं, लेकिन जब फिल्म नहीं चली, तो मैं टूट गया।”
राज कपूर ने सुभाष से ऋषि कपूर को समझाने को कहा

सुभाष घई ने रेडियो इंटरव्यू में बताया कि ऋषि कपूर फिल्म की असफलता से इतने दुखी हो गए थे कि बीमार पड़ गए। उनके पिता राज कपूर ने सुभाष घई को फोन कर कहा –
“समझाओ उसे, फिल्में चलती हैं और नहीं भी चलतीं। ये पागल हो गया है”
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