18 साल की रिसर्च को अक्षय कुमार ने 42 दिन में कूड़ा बना दिया।

Pradeep

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Yash Raj के बैनर ने सम्राट पृथ्वीराज चौहन पर पानी की तरह पैसा बहाया। अंतिम हिन्दू सम्राट पर 18 साल लगाने वाले डॉक्टर चन्द्र प्रकाश द्विवेदी को निर्देशन की कमान सौपी। वॉलीबुड में सबसे फिट कहे जाने वाले अक्षय कुमार को मुख्य भूमिका में रखा और पैन इंडिया फिल्म को 3 जून को रिलीज कर दिया गया। हाल ये रहा कि हिन्दी भाषा में फिल्म पहले हफ्ते में 32 करोड़ की कमाई तक पहुंचने में संघर्ष करती नजर आयी वहीं तमिल और तेलगू भाषा में फिल्म 3 लाख से 10 लाख तक की कमाई करने में हॉफने लगी। 250 करोड़ से 300 करोड़ की लगात से बनी फिल्म में 100 करोड़ तो अक्की भईया की जेब में गये। फिल्म शायद ही अक्की भइया की फीस की बराबर ही कमाई कर पाये।

18 साल की रिसर्च

कहा जा रहा है कि इस फिल्म को बनाने में निर्देशक साहब जी को 18 साल तक रिसर्च करनी पड़ी। अच्छी बात है अच्छे परिणाम के लिये काफी मेहनत करनी होती है। चन्द्र प्रकाश द्विवेदी जी का कहना है कि उन्होने इस रिसर्च में वह दिखाया है जो कि किताबों में या इतिहास में लिखा ही नहीं गया है। उन्होने कहा कि इस रिसर्च से सम्राट पृथ्वीराज के व्यक्तिव का अलग और दिलचस्प रुप सामने आया है।

दूरदर्शन पर 90s के समय प्रसारित होने वाला सीरियल ” चाणक्य ” इन्ही निर्देशक साहब की वजह से लोगों को पसंद आया था । मुख्य भूमिका में यही साहब थे। फिर साल 2003 में फिल्म पिंजर का निर्देशन किया। और अब साल 2022 में सम्राट पृथ्वीराज का निर्देश करके इन्होने दर्शकों को ऐसा क्या दिखा दिया कि लोगों को फिल्म का प्यार मिलने के बजाय सौतेलापन झेलना पड़ रहा है।

द्विवेदी जी ने मीडिया का सामने कुछ ज्यादा ही लम्बी-लम्बी बाते फेक दी इसी से दर्शकों का सर घूम गया। यह समझ से परे है कि इतनी मेहनत के बाद यदि यह परिणाम आता है ,तो फिर गीता में लिखी बात ही गलत है।

42 दिन में शूटिंग खत्म

अक्षय कुमार को पृथ्वीराज के रुम में देखना दर्शकों को इतना बेहूदा लगा कि फिल्म का बंटाधार हो गया। निर्देशक साहब 18 साल में रिसर्च करते हैं और अभिनेता जी 42 दिन में काम खत्म कर डालते हैं। दोनों ही लोगों ने दर्शकों को मूर्ख समझा था इसलिये लम्बी-चौड़ी बात करके लोगों की भावनाओं को शिखर तक ले गये। दर्शक जो पहला शो देखने पहुंचे समझ गये कि उनका कट चुका है और फिर जो उन लोगों ने अपने review दिये है , समझो काम ही तमाम कर दिया।

राजनितिक सपोर्ट नहीं कंटेट है फिल्म की जान

यह तो Yash Raj team को बात पता चल ही गई थी कि फिल्म दर्शकों को सिनेमाघर तक लाने में असफल हो सकती है इसलिये उन्होने राजनिती का सहारा लिया और सोचा कि इस फॉरमूले से फिल्म की नाव चल निकलेगी। कुछ राज्यों में फिल्म टैक्स फ्री कर दी गई। तब भी दर्शकों ने दूसरी फिल्मों को देखना कम पसंद किया। बॉलीबुड को समझना होगा कि फिल्म का कंटेट ही दर्शकों को बांधे रखता है और बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बारिश होने लगती है।

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