वीरेंद्र सहवाग का ओपनर बनना भारतीय क्रिकेट में एक क्रांतिकारी कदम था। यह न सिर्फ उनके करियर की दिशा बदल गया, बल्कि टीम इंडिया की सोच को भी आक्रामक बना दिया। आइए जानें, कब और कैसे यह बदलाव हुआ।
शुरुआत- मिडिल ऑर्डर से ओपनिंग तक
1999 में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले सहवाग को शुरू में मिडिल ऑर्डर में जगह मिली। हालांकि, उनकी नैचुरल आक्रामकता टीम को ओपनिंग में चाहिए थी।

भारतीय टीम में कुछ नये बल्लेबाजों और खदु सौरव गांगुली भी ओपनिंग बल्लेबाजी में हाथ आजमा चुके थे पर उम्मीद के मुताबिक सचिन के साथ कोई ओपनिग बल्लेबाज नहीं मिल पा रहा था ।
2002 में सौरव गांगुली और कोच जॉन राइट ने सहवाग को ओपनिंग में उतारने का साहसिक फैसला लिया, और यहीं से शुरू हुई वीरू की धमाकेदार पारी।
ओपनिंग की पहली पारी – इंग्लैंड 2002
लॉर्ड्स टेस्ट में सहवाग पहली बार ओपनिंग करने उतरे। भले ही वह एक लंबी पारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने गेंदबाजों को बता दिया कि डर उनके शब्दकोश में नहीं है।
मुल्तान का सुल्तान – 309 रन बनाम पाकिस्तान

2004 में पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में सहवाग ने 309 रन की ऐतिहासिक पारी खेली। ये भारत का पहला तिहरा शतक था और इसी के साथ सहवाग ने खुद को बतौर ओपनर स्थापित कर दिया।
सहवाग स्टाइल: ‘See the ball, Hit the ball
वीरू की बल्लेबाजी का मंत्र था – “गेंद को देखो, और मारो।”
- कोई डर नहीं
- कोई तकनीकी गणना नहीं
- बस गेंदबाज पर हमला
सहवाग के रिकॉर्ड्स (बतौर ओपनर)
- टेस्ट में 8586 रन, 23 शतक, 6 दोहरे शतक, 2 तिहरे शतक
- ODI में 219 रन बनाकर रिकॉर्ड बनाया (2011 बनाम वेस्टइंडीज)
- पहले भारतीय जिसने टेस्ट में दो बार तिहरा शतक लगाया
सहवाग की ओपनिंग में सफलता के कारण
- नया बॉल, खुला मैदान – फील्डिंग सर्कल का फायदा
- स्पिनर्स पर अटैक – अगर 15 ओवर तक यह बल्लेबाज रह गया, स्पिनर्स की शामत
- मानसिक दबाव डालना – गेंदबाज की रणनीति तोड़ना
सौरव गांगुली की कप्तानी में सहवाग को सही प्लेटफॉर्म मिला। उनके विश्वास और कोच जॉन राइट की रणनीति ने ही इस बल्लेबाज की असली ताकत को बाहर निकाला।

सहवाग की विरासत
उन्होंने टेस्ट ओपनिंग, वन डे ओपनिंग की परिभाषा बदल दी
बाद के ओपनर्स – मुरली विजय, रोहित शर्मा, शिखर धवन, – सभी ने वीरू से प्रेरणा ली
सहवाग आज भी “खुलकर खेलने” के प्रतीक हैं
जब सहवाग ओपनर बने, तब भारतीय क्रिकेट में आक्रामकता का नया युग शुरू हुआ।
उनकी पारियां सिर्फ रन नहीं थीं, बल्कि एक नया नजरिया थीं – आत्मविश्वास से भरा, आक्रमण से लैस, और दर्शकों को रोमांचित करने वाला।
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