राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित फिल्म “अंदाज़ अपना अपना” (1994) हिंदी सिनेमा की उन दुर्लभ फिल्मों में से एक है, जिसने समय के साथ एक कल्ट क्लासिक का दर्जा हासिल किया।
हालांकि यह फिल्म आज भारत में कॉमेडी फिल्मों का पर्याय मानी जाती है और अपने शानदार संवाद, दिलचस्प पात्रों और हास्य-प्रधान दृश्यों के लिए जानी जाती है, लेकिन रिलीज़ के समय इसे बॉक्स ऑफिस पर असफलता का सामना करना पड़ा।
इस लेख में हम “अंदाज़ अपना अपना” की असफलता के पीछे के कारणों का विश्लेषण करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि एक बेहतरीन फिल्म क्यों अपने समय में दर्शकों को थिएटर तक खींचने में असफल रही।
1. मार्केटिंग और प्रमोशन में कमी
1990 के दशक में भारतीय फिल्म उद्योग में प्रचार और मार्केटिंग का उतना महत्व नहीं था जितना आज है। “अंदाज़ अपना अपना” के प्रचार पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।
फिल्म की रिलीज़ के समय इसका प्रचार सीमित था और इसकी कहानी या कॉमेडी को दर्शकों तक सही तरीके से नहीं पहुंचाया गया।
इसके अलावा, फिल्म के पोस्टर्स और ट्रेलर दर्शकों में वह उत्सुकता नहीं जगा पाए, जो फिल्म को हिट बनाने के लिए जरूरी थी। विज्ञापन की यह कमी बड़े पैमाने पर दर्शकों को थिएटर तक खींचने में असफल रही।
2. फिल्म “सुहाग” के साथ रिलीज होना
1994 का साल बॉलीवुड के लिए बहुत खास था, क्योंकि इस दौरान कई बड़ी और हिट फिल्में रिलीज़ हुईं।
हम आपके हैं कौन, मोहरा, क्रांतीवीर, राजा बाबू, लाडला, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, आतिश, सुहाग, दिलवाले और विजयपथ जैसी बड़ी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस जमकर कमाई की थी।
4 नबम्बर 1994 को सुहाग और अंदाज अपना अपना रिलीज हुई। फिल्म “सुहाग” एक एक्शन कॉमेडी थी और “अंदाज अपना अपना” एक रोमांस कॉमेडी फिल्म थी।
अजय देवगन और अक्षय कुमार की फिल्म सुहाग के आगे सलमान और आमिर की फिल्म को ज्यादा स्पेस नहीं मिल सका क्योंकि दर्शकों में फिल्म सुहाग का क्रेज था।
3. फिल्म की टाइमिंग
फिल्म की रिलीज़ के समय सलमान खान और आमिर खान दोनों ही सितारे उभरते हुए अभिनेता थे, लेकिन उनकी लोकप्रियता अभी उस ऊंचाई पर नहीं पहुंची थी, जो बाद के वर्षों में देखने को मिली।
इसके अलावा, 1990 का दशक ऐसा समय था, जब दर्शक मुख्य रूप से पारिवारिक ड्रामा, रोमांस और एक्शन पर आधारित फिल्मों को पसंद कर रहे थे।
“अंदाज़ अपना अपना” की स्लैपस्टिक और सिचुएशनल कॉमेडी उस समय के दर्शकों के स्वाद से मेल नहीं खाती थी।
4. पात्रों की जटिलता और कॉमेडी का अंदाज़
फिल्म की कहानी और उसके पात्र अत्यंत दिलचस्प थे, लेकिन यह जटिलता शायद उस समय के दर्शकों को समझ नहीं आई।
“अंदाज़ अपना अपना” में कॉमेडी का एक अलग ही अंदाज़ था, जो आज के दर्शकों के लिए तो मजेदार है, लेकिन उस समय इसे समझने में मुश्किल हुई।
फिल्म में कई हास्य दृश्य और संवाद थे, जिनके लिए दर्शकों को थोड़ा ध्यान लगाना पड़ता था। उदाहरण के लिए, क्राइम मास्टर गोगो के संवाद या “तेजा” के मजाकिया प्लॉट दर्शकों को उलझा सकते थे। उस समय की फिल्मों में अक्सर सीधे-सादे हास्य या सरल कहानी की उम्मीद की जाती थी।
5. फिल्म निर्माण में देरी और समस्याएं
फिल्म की शूटिंग के दौरान कई परेशानियां आईं। कहा जाता है कि फिल्म के निर्माण में देरी हुई और इसका बजट भी बढ़ गया था। आमिर खान और सलमान खान के बीच का तनाव भी फिल्म की शूटिंग को प्रभावित कर रहा था।
इसके अलावा, फिल्म के कई तकनीकी पहलुओं को लेकर भी समस्याएं थीं, जैसे संपादन और सिनेमैटोग्राफी। इन सभी कारणों ने फिल्म की गुणवत्ता और रिलीज़ की तैयारी पर असर डाला।
6. दर्शकों की अपेक्षाएं और धारणा
फिल्म के दर्शकों ने, खासकर उस समय के, फिल्म के नाम “अंदाज़ अपना अपना” से इसे एक रोमांटिक ड्रामा समझने की गलती की। हालांकि फिल्म में रोमांस का भी एक एंगल था, लेकिन मुख्य रूप से यह कॉमेडी पर आधारित थी।
उस समय सलमान खान और आमिर खान को रोमांटिक भूमिकाओं में ज्यादा पसंद किया जाता था। इस फिल्म में उनकी जोड़ी ने दर्शकों को थोड़ा भ्रमित किया।
7. मल्टीस्टारर फिल्म का दबाव
“अंदाज़ अपना अपना” में सलमान खान और आमिर खान के अलावा रवीना टंडन, करिश्मा कपूर, और परेश रावल जैसे सितारे भी थे।
ऐसा माना जाता है कि इतनी बड़ी स्टार कास्ट होने के बावजूद फिल्म में उनके किरदारों का संतुलन सही ढंग से पेश नहीं किया गया।
यह भी कहा जाता है कि मल्टीस्टारर फिल्मों में कलाकारों की व्यक्तिगत फैन फॉलोइंग कभी-कभी फिल्म के लिए चुनौती बन जाती है। ऐसा ही कुछ “अंदाज़ अपना अपना” के साथ भी हुआ।
8. फिल्म की रिलीज़ रणनीति में खामियां
फिल्म को उचित थिएटर स्क्रीनिंग नहीं मिल पाई। कई क्षेत्रों में फिल्म की रिलीज़ सही समय पर नहीं हो सकी, जिससे यह दर्शकों तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाई। इसके अलावा, फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन भी कमजोर रहा।
फिल्म की शुरुआत धीमी रही, और इसके लिए कोई मजबूत रणनीति नहीं बनाई गई कि कैसे इसे और दर्शकों तक पहुंचाया जाए।
9. लंबे समय तक समझ न आना
“अंदाज़ अपना अपना” की खासियत यह है कि इसकी कॉमेडी समय के साथ समझ में आती है। यह फिल्म तुरंत हिट होने के बजाय धीरे-धीरे दर्शकों का प्यार जीत पाई।
इसके संवाद, जैसे “गलती से मिस्टेक हो गया,” और “क्राइम मास्टर गोगो,” समय के साथ लोकप्रिय हुए।
फिल्म की शैली और मजाकिया अंदाज उस समय के मुख्यधारा के ट्रेंड से अलग थे, और इसलिए इसे समय की जरूरत थी कि लोग इसे पूरी तरह से सराहें।
आज “अंदाज़ अपना अपना” क्यों खास है?
फिल्म आज के समय में दर्शकों के बीच बहुत बड़ी हिट है। इसके संवाद और किरदार भारतीय पॉप कल्चर का हिस्सा बन गए हैं। फिल्म को बार-बार देखने वाले दर्शकों ने इसे बार-बार देखा और इसके मजाकिया पहलुओं को गहराई से समझा।
“अंदाज़ अपना अपना” की असफलता का मुख्य कारण समय, प्रचार-प्रसार में कमी, और दर्शकों की तत्कालीन प्राथमिकताओं का मेल न खाना था। लेकिन समय के साथ यह फिल्म एक पंथ की तरह बन गई, जो साबित करती है कि हर फिल्म का वक्त और दर्शक वर्ग अलग हो सकता है।
आज यह फिल्म न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि एक सबक भी है कि कला को समय और सही संदर्भ में समझा जा सकता है।
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