Besharam Rang Controvery: “बेशर्म रंग” फूहड़ है और इसके विरोध का लॉजिक भी

Pradeep

Updated on:

शाहरुख खान की फिल्म पठान का गीत ” बेशर्म रंग” जब से आया है तब से सुर्खियों में हैं। फिल्म को नापंसद करने वाले लोगों ने ऐसे-ऐसे लॉजिक दिये हैं जिससे साफ पता चलता है कि उन लोगों को सिर्फ विरोध करने से ही मतलब है। क्योंकि उनके लॉजिक का कोई भी सीधा सा कारण नजर नहीं आता है। फिल्म पठान में शाहरुख खान के अलावा दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम मुख्य किरदारों में दिखेगें। यह फिल्म 25 जनवरी 2023 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। लोगों में इस फिल्म और इसके गाने को लेकर कई प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं।

“बेशर्म रंग” फूहड़ है और इसके विरोध का लॉजिक भी

कोई इस गाने को भगवा रंग का अपमान कह रहा है, तो कोई इसे हिन्दु-संस्कृति के नुकसान के रुप में देख रहा है। कुछ लोगों को इस गाने में कोई खामी नजर नहीं आती, कोई कह रहा है कि इसको सिर्फ मनेरंजन की नजर से देखो।

वैसे भी यदि लोगों की राय को देखें जो इस गाने के विरोधी हैं, तो आपको भी इसमें कोई लॉजिक नहीं समझ आयेगा। इन लोगों का कहना है कि “बेशर्म रंग” गाने के एक दृश्य में दीपिका भगवा रंग की बिकनी में हैं और बेशर्म रंग बोल रही हैं। यह भगवा का अपमान है।

"बेशर्म रंग" फूहड़ है और इसके विरोध का लॉजिक भी
“बेशर्म रंग” फूहड़ है और इसके विरोध का लॉजिक भी

दरअसल लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत भगवा रंग को लेकर है। लोगों का कहना है कि इस गीत में भगवा रंग को जानबूझ कर फूहड़ दृश्यों में डाला गया है। अब आप ही सोचिये ना जाने कितने ही गानों में नारंगी रंग के कपड़ो में अभिनेत्रियां कामुक नृत्य करती हुई देखी गई हैं।

अब बात करते हैं इस गीत की, यह तो सही बात है कि यह गीत फूहड़ है। छोटे-छोटे कपड़ों में लड़कियों को दिखाना हिन्दी सिनेमा की सोच को दर्शाता है। एक तो गाने के बोल का निम्न स्तर और नग्नता में भी अब्बल । हिन्दी फिल्म-जगत लोगों को अपनी और खीचने के लिये इसी तरह के हथकंड़े अपनाता रहता है।

यह कोई पहली या आखिरी फिल्म या गीत नहीं है जिसमें फूहड़ता ना हो, पहले भी ऐसा ही था , अब भी ऐसा ही है और आगे का कहा नहीं जा सकता है। ऐसा इसलिये क्योंकि अब लोगों का डर हिन्दी फिल्म के मेकर्स को समझ आने लगा है। हो सकता है आने वाले सालों में कोई अच्छा बदलाब देखने को मिले।

आपका इस पर क्या सोचना है।

Leave a comment